यस बैंक के ग्राहकों को झटका, अब खाने से नहीं हटाया जाएगा 50 हजार रुपये से ज्यादा Yes Bank बैंक के ग्राहकों को झटका
Yes Bank के ग्राहकों को झटका, अब खाते से नहीं निकाल पाएंगे 50 हजार रुपये से ज्यादा
आरबीआई ने इसके साथ ही बैंक के जमाकर्ताओं पर निकासी की सीमा सहित इस बैंक के कारोबार पर कई तरह की पाबंदिया लगा दी हैं.
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 05 मार्च 2020 को नकदी संकट से जूझ रहे निजी क्षेत्र के यस बैंक पर रोक लगाते हुए उसके निदेशक मंडल को भंग कर दिया है. इसके अतिरिक्त बैंक के जमाकर्ताओं के लिए 50,000 रुपये की निकासी की सीमा तय की है.
आरबीआई ने इसके साथ ही बैंक के जमाकर्ताओं पर निकासी की सीमा सहित इस बैंक के कारोबार पर कई तरह की पाबंदिया लगा दी हैं. बैंक का नियंत्रण भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के नेतृत्व में वित्तीय संस्थानों के एक समूह के हाथ में देने की तैयारी की गयी है.
आरबीआई ने बयान में क्या कहा?
आरबीआई ने अपने बयान में कहा कि येस बैंक के निदेशक मंडल को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया गया है और भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के पूर्व मुख्य वित्त अधिकारी (सीएफओ) प्रशांत कुमार को यस बैंक का प्रशासक नियुक्त किया गया है. यस बैंक काफी समय से डूबे कर्ज की समस्या से जूझ रहा है. आरबीआई ने कहा कि यस बैंक लगातार एनपीए की समस्या से जूझ रहा है, जिसके चलते यह फैसला लेना पड़ा है.
बैंक के अधिकांश कर्ज डूब गए
यस बैंक ने जो कर्ज बांटा था उसमें अधिकांश डूब गए हैं, बैंक इसी समस्या से जूझ रहा है. बैंक चाहता है कि नई पूंजी जुटाई जाए लेकिन इस काम में उसे समस्या आ रही है. इसी कारण से बैंक ने दिसंबर 2019 की तिमाही नतीजे भी घोषित नहीं किए हैं. एनपीए की वजह से बैंक की सुरक्षित पूंजी कम हो गई है.
यह भी पढ़ें:केंद्र सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) में व्यापक विलय को मंजूरी दी
आरबीआई ने पीएमसी बैंक पर भी लगाया था प्रतिबंध
आरबीआई ने लगभग 6 महीने पहले पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव (पीएमसी) बैंक पर इसी तरह का प्रतिबंध लगाया था. आरबीआई ने पीएमसी बैंक से अधिकतम 10 हजार रुपये की विड्रॉल लिमिट तय की थी. हालांकि, बाद में आरबीआई द्वारा इसे बढ़ा दिया गया था. आरबीआई ने पीएमसी बैंक में वित्तीय गड़बड़ी मिलने के बाद यह फैसला लिया था.
एलआइसी और एसबीआइ के पास बराबर की हिस्सेदारी
वित्त मंत्रालय, आरबीआइ एवं बाजार नियामक एजेंसी सेबी के बीच विचार विमर्श से तैयार इस फार्मूले के अनुसार यस बैंक में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी सरकारी क्षेत्र के दो वित्तीय संस्थानों एसबीआइ तथा एलआइसी को सौंपी जाएगी. एलआइसी और एसबीआइ के पास बराबर की 24.5 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी. हालांकि, जरूरत पड़ने पर इनमें से कुछ दूसरे वित्तीय संस्थानों को भी जोड़ा जा सकता है.
आरबीआई ने इसके साथ ही बैंक के जमाकर्ताओं पर निकासी की सीमा सहित इस बैंक के कारोबार पर कई तरह की पाबंदिया लगा दी हैं.
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 05 मार्च 2020 को नकदी संकट से जूझ रहे निजी क्षेत्र के यस बैंक पर रोक लगाते हुए उसके निदेशक मंडल को भंग कर दिया है. इसके अतिरिक्त बैंक के जमाकर्ताओं के लिए 50,000 रुपये की निकासी की सीमा तय की है.
आरबीआई ने इसके साथ ही बैंक के जमाकर्ताओं पर निकासी की सीमा सहित इस बैंक के कारोबार पर कई तरह की पाबंदिया लगा दी हैं. बैंक का नियंत्रण भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के नेतृत्व में वित्तीय संस्थानों के एक समूह के हाथ में देने की तैयारी की गयी है.
आरबीआई ने बयान में क्या कहा?
आरबीआई ने अपने बयान में कहा कि येस बैंक के निदेशक मंडल को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया गया है और भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के पूर्व मुख्य वित्त अधिकारी (सीएफओ) प्रशांत कुमार को यस बैंक का प्रशासक नियुक्त किया गया है. यस बैंक काफी समय से डूबे कर्ज की समस्या से जूझ रहा है. आरबीआई ने कहा कि यस बैंक लगातार एनपीए की समस्या से जूझ रहा है, जिसके चलते यह फैसला लेना पड़ा है.
बैंक के अधिकांश कर्ज डूब गए
यस बैंक ने जो कर्ज बांटा था उसमें अधिकांश डूब गए हैं, बैंक इसी समस्या से जूझ रहा है. बैंक चाहता है कि नई पूंजी जुटाई जाए लेकिन इस काम में उसे समस्या आ रही है. इसी कारण से बैंक ने दिसंबर 2019 की तिमाही नतीजे भी घोषित नहीं किए हैं. एनपीए की वजह से बैंक की सुरक्षित पूंजी कम हो गई है.
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आरबीआई ने पीएमसी बैंक पर भी लगाया था प्रतिबंध
आरबीआई ने लगभग 6 महीने पहले पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव (पीएमसी) बैंक पर इसी तरह का प्रतिबंध लगाया था. आरबीआई ने पीएमसी बैंक से अधिकतम 10 हजार रुपये की विड्रॉल लिमिट तय की थी. हालांकि, बाद में आरबीआई द्वारा इसे बढ़ा दिया गया था. आरबीआई ने पीएमसी बैंक में वित्तीय गड़बड़ी मिलने के बाद यह फैसला लिया था.
एलआइसी और एसबीआइ के पास बराबर की हिस्सेदारी
वित्त मंत्रालय, आरबीआइ एवं बाजार नियामक एजेंसी सेबी के बीच विचार विमर्श से तैयार इस फार्मूले के अनुसार यस बैंक में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी सरकारी क्षेत्र के दो वित्तीय संस्थानों एसबीआइ तथा एलआइसी को सौंपी जाएगी. एलआइसी और एसबीआइ के पास बराबर की 24.5 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी. हालांकि, जरूरत पड़ने पर इनमें से कुछ दूसरे वित्तीय संस्थानों को भी जोड़ा जा सकता है.
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